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”हे राम”

महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी ,गांधी जी के इस बलिदान की याद में हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज  उनके उन आदर्शों को भी याद करने का दिन है । जिनकी बदौलत उन्होंने बिना हथियार उठाए उपनिवेश वादी अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ दिया था।
गांधी के मोहनदास से महात्मा बनने का सफर इतना आसान नहीं था। इस सफर को मात्र कुछ शब्दों में समेटा भी नहीं जा सकता। आइंस्टाइन का यह कथन गांधी की महत्ता बताने के लिए पर्याप्त है कि “आने वाली पीढ़ियां विश्वास नहीं करेंगी कि इस धरती पर गांधी जैसा कोई हाड़–मांस का शरीर रहा होगा।”
रामचंद्र गुहा ठीक कहते हैं कि, “गांधी ने जो दो दशक दक्षिण अफ्रीका में बिताए वे गांधी को महात्मा बनने की राह पर ले गए।” गांधी के व्यक्तित्व को उनके पारिवारिक संस्कारों ने जरूर गढ़ा था लेकिन गांधी के मुखर व्यक्तित्व की निर्माण में दक्षिण अफ्रीका प्रवास का महत्वपूर्ण योगदान है। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के 21 वर्षों में गांधी का जीवन और विचार कई महत्त्वपूर्ण बदलावों से गुजरे।
आज गांधी की बहुत मूर्तियां बनवाई जा चुकी हैं लेकिन असल प्रश्न यह है कि विचार और आचरण के रूप में वो हमारी चेतना और व्यवहार में हैं और रहेंगे कि नहीं?
गांधी जी पुण्यतिथि के अवसर पर आज हमें गांधी को महज रस्म अदायगी तक याद करने से बचना होगा। गांधी का व्यक्तित्व और चिंतन न सिर्फ भारत बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए एक धरोहर है वर्तमान में इसे संरक्षित और संवर्द्धित करने की आवश्यकता है।

The Dig Bite
Author: The Dig Bite

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